जय माल्हण बाईसा
( 1 )
शक्ति सरस्वती
भव-भव भगती
जानत जोगन जसकारी ।
प्रगटी परमारी आप अवतारी
शोभा सारी शुभकारी ।
हंस सवारी हे शिव प्यारी
नित निहारी निगराणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
(2)
ॐ उचारी चार भुजारी
शंख त्रिशुल गद्दा चक्र संभारी ।
राक्षस मारी रूप दिखारी
पलक पलटकर भुजा पसारी ।
दुश्मन को दाटन कोड दुःख काटन
घर रखवाली धणीयाणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
(3)
सब संसारी तू सुखकारी धरत ध्यान गुरु शंकर धारी।
आप अन्तर ध्यानी गुरूदेव ज्ञानी शक्त भवानी सदागुरू प्यारी ।
ऐसी देवी आई परचा पाई हरख बढत मुझ हरसाणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
' (4)
लाखों अरी लारी
खाग खींचारी
शक्त संभारे शेराणी।
धावळू धर धरियो
हर दम हरियो
कटक काट शीश शेहराणी ।
मालु मुगटाली वा विरदाली
धार लोद्रवा धणीयाणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
(5)
केवलो लालो कहिये
सहल्यो सहिये
आप जो आईये माल अठै ।
सिंहासन शक्ति
हडे हड हंसती
जब सुण जपती आव अठै ।
सेवक रख शरणा
हर दुःख हरणा
माल देवी करना मेहरबानी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
( भगवाना राम प्रजापत )
( 1 )
शक्ति सरस्वती
भव-भव भगती
जानत जोगन जसकारी ।
प्रगटी परमारी आप अवतारी
शोभा सारी शुभकारी ।
हंस सवारी हे शिव प्यारी
नित निहारी निगराणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
(2)
ॐ उचारी चार भुजारी
शंख त्रिशुल गद्दा चक्र संभारी ।
राक्षस मारी रूप दिखारी
पलक पलटकर भुजा पसारी ।
दुश्मन को दाटन कोड दुःख काटन
घर रखवाली धणीयाणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
(3)
सब संसारी तू सुखकारी धरत ध्यान गुरु शंकर धारी।
आप अन्तर ध्यानी गुरूदेव ज्ञानी शक्त भवानी सदागुरू प्यारी ।
ऐसी देवी आई परचा पाई हरख बढत मुझ हरसाणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
' (4)
लाखों अरी लारी
खाग खींचारी
शक्त संभारे शेराणी।
धावळू धर धरियो
हर दम हरियो
कटक काट शीश शेहराणी ।
मालु मुगटाली वा विरदाली
धार लोद्रवा धणीयाणी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
(5)
केवलो लालो कहिये
सहल्यो सहिये
आप जो आईये माल अठै ।
सिंहासन शक्ति
हडे हड हंसती
जब सुण जपती आव अठै ।
सेवक रख शरणा
हर दुःख हरणा
माल देवी करना मेहरबानी ।
जुग-जुग में जानी
शुभ सुरवाणी
भगू भगत कही अमर निशानी ।
( भगवाना राम प्रजापत )